साल 2020 की महाशिवरात्रि का विशेष महत्व

डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य

महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत ही खास होता है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष उपासना, साधना और व्रत रख किया जाता है। महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक और जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। इस बार 21 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है।

साल 2020 की महाशिवरात्रि का विशेष महत्व
शुभ संयोग
इस बार महाशिवरात्रि पर कई तरह के शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है जिसे बेहत शुभ माना जाता है। इस शिव रात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। महाशिवरात्रि पर शनि स्वयं की राशि मकर और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। इससे पहले 1903 में इन ग्रहों का ऐसा संयोग बना था।

इसके अलावा महाशिव रात्रि पर शनि और चंद्रमा के संयोग से शश योग बन रहा है। इस संयोग में शिव आराधना का विशेष फल मिलता है। चंद्रमा मन का और शनि ऊर्जा का कारक है। महाशिवरात्रि पर सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग में शिव-पार्वती का पूजन श्रेष्ठ माना गया है।

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त 2020
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी।

रात्रि प्रहर पूजा मुहूर्त
शाम को 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी।

पूजा का समय
महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि में चार बार शिव पूजन की परंपरा है।

जलाभिषेक
महाशिव रात्रि के मौके पर भोले नाथ का जलाभिषेक करने की विशेष परंपरा है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर, धतूरा के साथ जलाभिषेक करना शुभ रहता है।

महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व
मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था जिस कारण से महाशिवरात्रि का महत्व है। इसके अलावा शिवरात्रि पर आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं।

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